बरकट्ठा प्रखंड के चामूदोहर गांव में गेंदे की खेती से किसानों को मिल रहा नया रास्ता
पारंपरिक खेती को छोड़ अब फूलों की खेती से बढ़ रही आमदनी
हजारीबाग:-जिले के बरकट्ठा प्रखंड स्थित आदिवासी बहुल चामूदोहर गांव के किसानों ने खेती के क्षेत्र में एक नया और अनोखा प्रयास शुरू किया है। जहां पहले केवल पारंपरिक खेती होती थी, अब वहां गेंदे के फूलों की फसल लहलहा रही है। गांव के किसान अब धीरे-धीरे पारंपरिक खेती से हटकर नवाचार की ओर कदम बढ़ा रहे हैं।गांव के छह किसानों ने मिलकर लगभग दो एकड़ भूमि पर गेंदे की खेती शुरू की है। फूलों की इस खेती से न सिर्फ उनकी आमदनी में बढ़ोतरी हो रही है, बल्कि आस-पास के गांवों के किसान भी अब इससे प्रेरित होकर खेती की ट्रेनिंग लेने चामूदोहर पहुंच रहे हैं।इन किसानों को मानव विकास संस्था द्वारा संचालित ‘कृषक गुरुकुल’ में विशेष प्रशिक्षण दिया गया, जिसके बाद उन्होंने गेंदे की खेती का निर्णय लिया। किसानों का कहना है कि फूलों की खेती पारंपरिक खेती की तुलना में अधिक लाभदायक सिद्ध हो रही है।गेंदे के फूलों की अच्छी मांग के कारण किसानों को बाजार तक पहुंचने में परेशानी नहीं हो रही है। साथ ही इस पहल से गांव की पहचान भी बदल रही है। अब यहां के युवा और अन्य किसान फूलों की खेती, औषधीय पौधों और सब्जियों की खेती में रुचि दिखा रहे हैं।स्थानीय किसान बताते हैं कि “अब समय आ गया है कि खेती में विविधता लाई जाए। पारंपरिक फसलों के साथ-साथ अगर हम बाजार की मांग के अनुसार फसल उगाएं तो आर्थिक स्थिति बेहतर हो सकती है।” गेंदे की खेती से होने वाला कम लागत में अधिक मुनाफा इसका सबसे बड़ा उदाहरण है।
Author: Ashish Yadav
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