विस्थापित महिलाओं के हाथों उपजा मशरूम चख रहा है एनटीपीसी परिवार, अब हजारीबाग के बाजार में बेचने की तैयारी
हजारीबाग:- कोयला उत्खनन और भूमि अधिग्रहण को लेकर चर्चित बड़कागांव अब महिला सशक्तिकरण और स्वरोजगार की मिसाल भी बन रहा है। एनटीपीसी पकरी-बरवाडीह कोल खनन परियोजना के तहत विस्थापित महिलाओं को मशरूम की खेती का प्रशिक्षण दिया गया, जिसके बाद वे अब व्यावसायिक स्तर पर मशरूम उत्पादन में जुट गई हैं।एनटीपीसी द्वारा जमीन अधिग्रहण के बाद विस्थापित हुए परिवारों को मुआवजा तो दिया गया, लेकिन इसके साथ-साथ महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से उन्हें विभिन्न प्रकार के कौशल विकास प्रशिक्षण भी दिए गए।
इसी क्रम में करीब 40 महिलाओं को मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण दिया गया।सावित्री कुमारी, किसान ने बताई की”हमने पहले कभी नहीं सोचा था कि मशरूम से भी आमदनी हो सकती है। अब हम इसे बड़े स्तर पर करने की तैयारी में हैं।”वही अनीसा देवी, किसान ने बताई की”अब हमें अपने पैरों पर खड़े होने का मौका मिला है। पहले पूंजी बना रहे हैं, फिर आगे और भी व्यवसाय करेंगे।”मशरूम की खेती अब केवल खेती नहीं, बल्कि स्वरोजगार का सशक्त माध्यम बन रही है। महिलाएं सामूहिक रूप से इस कार्य में लगी हैं, और अब वे न सिर्फ एनटीपीसी कर्मचारियों को ताज़ा मशरूम उपलब्ध करा रही हैं, बल्कि आगे हजारीबाग के खुले बाजार में भी इसकी आपूर्ति की योजना बना रही हैं।
अर्चना कुमारी, एनटीपीसी कर्मी एवं ट्रेनर ने कही की”हमारा प्रयास है कि महिलाएं आत्मनिर्भर बनें। मशरूम की खेती न सिर्फ उनके लिए आमदनी का साधन है, बल्कि यह उनका आत्मविश्वास भी बढ़ा रहा है।”यह पहल केवल रोजगार तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को साकार करने की दिशा में एक ठोस कदम है। महिलाएं अब अपनी पहचान खुद बना रही हैं, और भविष्य में अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बनने की ओर अग्रसर हैं।
Author: Ashish Yadav
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