सेंचुरी क्षेत्र में अवैध रूप से हो रही केंदू पत्ता की खरीदारी, मजदूरों का शोषण चरम पर
चतरा:-लावालौंग प्रखंड के वन्य प्राणी आश्रयणी क्षेत्र (सेंचुरी) में इन दिनों केंदू पत्ता की अवैध खरीदारी जोरों पर है। ठेकेदार और बिचौलियों द्वारा जंगलों में खलिहान बनाकर खुलेआम केंदू पत्तों की खरीद-बिक्री की जा रही है, जिससे सरकार को करोड़ों रुपए के राजस्व का नुकसान हो रहा है।
ठेका की आड़ में धड़ल्ले से हो रही अवैध गतिविधि
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, कई इलाकों — केंदू, सलगी, सिमरिया, जबड़ा आदि में छोटे मोटे ठेके का बहाना बनाकर सेंचुरी क्षेत्र में बड़े पैमाने पर केंदू पत्ता की तुड़ाई और खरीदारी की जा रही है। इसमें चतरा, पलामू और लातेहार जिले के ठेकेदार शामिल हैं।
वन विभाग और पुलिस की मिलीभगत का आरोप
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि वन विभाग और पुलिस की मिलीभगत से यह कारोबार फल-फूल रहा है। उग्रवादियों का बहाना बना कर विभाग जंगलों की निगरानी से पल्ला झाड़ लेता है।
मजदूरों का हो रहा है शोषण
खास बात यह है कि पुरुष, महिलाएं और बच्चे सुबह से जंगल जाकर पत्ता तोड़ते हैं, सजाते हैं और खलिहान में बेचते हैं, लेकिन उन्हें सरकारी दर 188 रु./सैकड़ा की जगह महज 150 रु./सैकड़ा मिलती है। इतना ही नहीं, बिचौलिए पत्तों को खराब बताकर पैसे काट लेते हैं।
ग्रामीणों ने की प्रशासन से कार्रवाई की मांग
ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि इस अवैध व्यापार पर रोक लगाई जाए, मजदूरों को उचित मजदूरी मिले और बिचौलियों तथा ठेकेदारों की मनमानी पर सख्ती से रोक लगाई जाए।
यह सिर्फ एक अवैध व्यापार नहीं, बल्कि सामाजिक अन्याय भी है।
यह स्थिति न सिर्फ मजदूरों के आर्थिक शोषण को दर्शाती है, बल्कि स्थानीय प्रशासन की उदासीनता और सरकारी तंत्र में फैले भ्रष्टाचार को भी उजागर करती है। इस पूरे प्रकरण की स्वतंत्र जांच कराकर दोषियों पर कठोर कार्रवाई बेहद जरूरी है।
Author: Ashish Yadav
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