मनरेगा मजदूरों को तीन महीने से नहीं मिला भुगतान, भुखमरी की कगार पर पहुंचे ग्रामीण, मजबूरन कर रहे शहरों की ओर पलायन।
पथलगड्डा:-महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा), जिसे भारत सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार की गारंटी देने के उद्देश्य से शुरू किया गया था, वर्तमान में झारखंड के चतरा जिले के पत्थलगड़ा प्रखंड क्षेत्र में विफल होती प्रतीत हो रही है। विगत तीन महीनों से मनरेगा मजदूरों को मजदूरी का भुगतान नहीं हो पाया है, जिसके चलते गरीब और जरूरतमंद श्रमिक भुखमरी की स्थिति में पहुंच चुके हैं और बड़ी संख्या में पलायन को मजबूर हो गए हैं।मनरेगा योजना के तहत प्रत्येक ग्रामीण परिवार को साल में 100 दिनों के न्यूनतम रोजगार की गारंटी दी जाती है। इस योजना के तहत अकुशल श्रमिकों को स्थानीय विकास कार्यों में लगाया जाता है, जिससे न सिर्फ उन्हें रोजगार मिलता है बल्कि गांवों में आधारभूत ढांचे का भी विकास होता है। लेकिन अब स्थिति यह है कि योजना के अंतर्गत कराए गए कार्यों की मजदूरी तो दूर, कई वर्षों से पूर्ण योजनाओं की सामग्री की राशि तक का भुगतान नहीं किया गया है।स्थानीय स्तर पर कार्य कराने वाले लाभुकों की हालत भी गंभीर होती जा रही है। कई लाभुकों ने योजना के कार्यों को पूरा करने के लिए कर्ज लिए थे, लेकिन भुगतान नहीं होने के कारण अब वे कर्ज के बोझ तले दबते जा रहे हैं। इस आर्थिक अस्थिरता ने मनरेगा जैसी महत्वाकांक्षी योजना की साख को बुरी तरह प्रभावित किया है।ग्रामीणों का कहना है कि अगर इस माह भी भुगतान नहीं हुआ, तो हजारों की संख्या में मजदूर रोज़गार की तलाश में महानगरों की ओर पलायन कर जाएंगे। यह स्थिति केवल आर्थिक संकट नहीं, बल्कि सामाजिक असंतुलन का संकेत भी है।स्थानीय प्रशासन और सरकार से मांग की जा रही है कि अविलंब मजदूरी और सामग्री मद का भुगतान सुनिश्चित किया जाए, ताकि मजदूरों को उनके श्रम का उचित प्रतिफल मिल सके और वे अपने गांव-घर में ही सम्मानपूर्वक जीवन यापन कर सकें।
आशीष यादव की रिपोर्ट
Author: Ashish Yadav
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