नज़रुल इस्लाम और रवींद्रनाथ टैगोर की स्मृति में ‘रबि-नज़रुल संध्या’ आयोजित, बच्चों की शानदार सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ।
भारत की सांस्कृतिक विरासत से बच्चों को परिचित कराना कार्यक्रम का उद्देश्य: गार्गी मल्लिक
हजारीबाग:-हजारीबाग के प्रख्यात हृदय रोग विशेषज्ञ स्व. डॉ. श्यामल कुमार मल्लिक की स्मृति में रविवार, 18 मई की संध्या उनके नवाबगंज स्थित निवास ‘मल्लिक हाउस’ में एक सांस्कृतिक संध्या ‘रबि-नज़रुल संध्या’ का आयोजन किया गया। यह आयोजन भारतीय साहित्य और संगीत जगत की दो अमर विभूतियाँ—गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर और काजी नज़रुल इस्लाम—की स्मृति को समर्पित रहा।
कार्यक्रम का निर्देशन श्रीमती गार्गी मल्लिक ने किया। उन्होंने बताया कि मई महीने में दोनों महान साहित्यकारों की जयंती होती है, और पिछले चार वर्षों से इस अवसर पर सांस्कृतिक आयोजन होते आ रहे हैं। “इसका उद्देश्य बच्चों को भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से जोड़ना है,” उन्होंने कहा।
कार्यक्रम की शुरुआत वैदिक मंत्रोच्चारण से हुई, जिसके बाद समृद्धि सहाय, शुभोश्री मुखर्जी एवं तिमिशा साहा ने नजरुल गीतों पर शास्त्रीय नृत्य प्रस्तुत कर माहौल को भावविभोर कर दिया। नन्हीं प्रतिभाओं अद्रिका दास गोस्वामी और अरित्री पाजा ने ‘प्रजापति प्रजापति’ गीत पर तितलियों के रूप में नृत्य कर दर्शकों की खूब तालियाँ बटोरीं। वहीं बाल कलाकार रियांशु कर चौधरी द्वारा नज़रुल की कविता का पाठ सराहनीय रहा।
इसके उपरांत प्रस्तुत की गई टैगोर कृत ‘वाल्मीकि प्रतिभा’ नृत्य-नाटिका ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसमें डाकुओं की भूमिका में समृद्ध सहाय, लकी कुमार, आयुष राज, प्रथम गुप्ता, राही भट्टाचार्य, रियांशु कर चौधरी और बबली कुमारी की प्रस्तुति प्रभावशाली रही। अद्रित मल्लिक ने वाल्मीकि की भूमिका में जीवंत अभिनय किया, जबकि वन देवियों की भूमिका में तिमिशा दास, गार्गी विश्वास, शुभोश्री मुखर्जी और लवली कुमारी ने रंग भरे। मां सरस्वती की भूमिका में समृद्धि गुप्ता, और बालिका बन की भूमिका में अद्रिका व अरित्री आकर्षण का केंद्र रहीं।
कार्यक्रम के अंत में श्रीमती आरती गुप्ता ने सभी प्रतिभागियों को उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए पुरस्कार प्रदान किए। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में स्थानीय नागरिक और कला प्रेमी उपस्थित रहे।
Author: Ashish Yadav
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