दनुआ घाटी में फिर हादसा,कब जागेगा प्रशासन..?
हजारीबाग/चौपारण:-दनुआ घाटी एक बार फिर हादसे की चपेट में आ गई। रोज़मर्रा के सफर में डर बन चुकी यह घाटी अब जानलेवा होती जा रही है। हर बार हादसा, हर बार अफसोस, लेकिन अब सवाल ये है—आखिर कब रुकेगा ये सिलसिला..?
स्थानीय लोगों की आवाज़ अब थकी हुई, लेकिन तीखी होती जा रही है—
“अब भगवान ही बचा सकते हैं…”
यह वाक्य अब घाटी के हर मोड़ पर सुनाई देता है, क्योंकि लिखने वाले भी थक चुके हैं, और पुकारने वाले भी।हर बार जब कोई वाहन पलटता है, जब कोई ज़िंदगी चली जाती है, तब खबरें बनती हैं, बयान आते हैं, लेकिन समाधान कभी नहीं आता। प्रशासन, एनएचएआई और जनप्रतिनिधि आखिर कब जागेंगे…? क्या बदलाव की नींद किसी ‘बड़ी बलि’ के बाद ही खुलेगी…?स्थानीय जनता में भारी आक्रोश है। लोगों का कहना है कि यह केवल सड़क नहीं, यह एक ‘मौत का रास्ता’ बन चुका है। जगह-जगह पर चेतावनी बोर्ड तो हैं, पर सुरक्षा के नाम पर कुछ नहीं।
अब जनता सीधा सवाल कर रही है:
“क्या कोई है जो देख और सुन रहा है…?”
इस बार फिर एक हादसा, एक नई पीड़ा और वही पुराना प्रशासनिक मौन।”बस बहुत हुआ…”दनुआ घाटी को चाहिए स्थायी समाधान, ना कि खानापूर्ति और कोरी घोषणाएं।
आशीष यादव की रिपोर्ट
Author: Ashish Yadav
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