किसान ने बनाया विकास मॉडल, खेती के साथ किया सुअर पालन
हजारीबाग:-जिले के अमनारी गांव के दो प्रगतिशील किसानों ने खेती से जुड़े अवशिष्ट पदार्थों के निपटारे के लिए एक अनोखा मॉडल विकसित किया है, जो अब पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गया है। सदर प्रखंड के अमनारी गांव के राम प्रसाद कुशवाहा और कौलेश्वर कुमार ने खेतों में बचे अपशिष्टों के निपटान के लिए सुअर पालन की शुरुआत की है।हजारीबाग कृषि प्रधान क्षेत्र है, जहां किसान लगातार नवाचार कर रहे हैं। खेती के दौरान बचने वाले जैविक अपशिष्ट पहले जहां बेकार समझकर फेंक दिए जाते थे, अब वही अवशेष सूअरों के आहार में परिवर्तित हो रहे हैं। इससे न केवल अपशिष्ट प्रबंधन आसान हुआ है, बल्कि किसानों की आय में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है।वही कौलेश्वर कुमार, प्रगतिशील किसान ने कहा कि”हमने देखा कि खेती के बाद बहुत सारा कचरा बेकार चला जाता था। सोचा क्यों न इसे उपयोग में लाया जाए। अब ये सूअरों का भोजन बन रहा है और हमें आमदनी भी हो रही है।”सुअर पालन आज के समय में एक लाभकारी व्यवसाय के रूप में उभरा है, और इसकी शुरुआत करने के लिए अधिक लागत की आवश्यकता भी नहीं होती।
जैविक अवशेषों का उपयोग करते हुए इस व्यवसाय को आसानी से शुरू किया जा सकता है।वही राम प्रसाद कुशवाहा, प्रगतिशील किसान ने भी बताया कि”पहले खेती के बाद कचरे से समस्या होती थी, अब वही चीज़ आमदनी का जरिया बन गई है। आसपास के किसान भी अब इस मॉडल को अपनाने में रुचि दिखा रहे हैं।”इन दोनों किसानों की पहल अब एक प्रेरणादायक मॉडल बन गई है, जिससे अन्य किसान भी प्रेरणा ले रहे हैं। यह मॉडल जहां एक ओर खेती में स्वच्छता और अपशिष्ट प्रबंधन सुनिश्चित करता है, वहीं दूसरी ओर किसानों को आय का अतिरिक्त स्रोत भी प्रदान करता है।यह पहल टिकाऊ कृषि और ग्रामीण उद्यमिता का बेहतरीन उदाहरण बन चुकी है। यदि इसे व्यापक रूप से अपनाया जाए, तो किसान अपनी आय को दोगुना कर सकते हैं और अपशिष्ट प्रबंधन की समस्या से भी निजात पा सकते हैं।
Author: Ashish Yadav
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