झारखंड में गैर मजरुआ खास जमीन की रजिस्ट्री पर लगी रोक हटी, हाईकोर्ट ने विभागीय अधिसूचना को किया निरस्त।
रांची:-झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य में वर्षों से विवादों में रही गैर मजरुआ खास जमीन की खरीद-बिक्री और रजिस्ट्री पर लगी रोक को हटा दिया है। मुख्य न्यायाधीश और न्यायमूर्ति राजेश शंकर की खंडपीठ ने मंगलवार को महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए राजस्व, निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग की 26 अगस्त 2015 की अधिसूचना को निरस्त कर दिया, जिसमें गैर मजरुआ खास भूमि के निबंधन को ‘लोकनीति के विरुद्ध’ करार देते हुए उस पर रोक लगाई गई थी।
2015 से बंद थी रजिस्ट्री प्रक्रिया
उल्लेखनीय है कि विभाग के आदेश के बाद गैर मजरुआ खास जमीन की रजिस्ट्री पर पूर्ण रोक लगा दी गई थी, जिससे राज्य भर के हजारों रैयत परेशान थे। इन जमीनों की खरीद-बिक्री के लिए कई जटिल प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता था। हाईकोर्ट के इस आदेश से अब उन लोगों को राहत मिलेगी जिनकी भूमि गैर मजरुआ खास खाते में दर्ज है।
छोटानागपुर डाइसीस ट्रस्ट एसोसिएशन समेत कई लोगों ने की थी चुनौती
राज्य सरकार की अधिसूचना को छोटानागपुर डाइसीस ट्रस्ट एसोसिएशन समेत कई संस्थाओं और लोगों ने 2018 में अदालत में चुनौती दी थी। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि यह रोक रैयतों के मौलिक अधिकारों और संपत्ति के स्वतंत्र लेन-देन के अधिकार का उल्लंघन है। अदालत ने तथ्यों और कानूनी बिंदुओं पर विचार करते हुए विभाग की अधिसूचना को खारिज कर दिया।
अब होगी रजिस्ट्री में सहूलियत
हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद गैर मजरुआ खास भूमि की रजिस्ट्री को लेकर चल रही अनिश्चितता समाप्त हो गई है। अब ऐसी जमीनों की रजिस्ट्री फिर से शुरू हो सकेगी और इससे संबंधित लेन-देन भी सरल होंगे। यह फैसला हजारों रैयतों के लिए एक बड़ी राहत के रूप में देखा जा रहा है।
Author: Ashish Yadav
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